सरफ़राज़ खान ने कहा, यदि गावस्कर‑तेंदुलकर ने कांगा लीग नहीं खेली तो legend नहीं बनते

जब सरफ़राज़ खान, मध्यक्रम बल्लेबाज़ और भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने कांगा लीग में 61 रन बनाए, उन्होंने एक चौंकाने वाला बयान दिया: “अगर सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर ने भी इसी तरह सोचते, तो वे आज के दिग्गज नहीं बनते।” यह टिप्पणी मुंबई के कंगालीन मौसम में आयोजित वार्षिक टूर्नामेंट, कांगा लीगमुंबई, के मैच के बाद कही गई।

कांगा लीग का इतिहास और महत्व

काँगा लीग 1940 के दशक से मुंबई के मोनसून‑सीज़न की पहचान रही है। बारिश की फजी हुई पिच पर ग्रास‑कटिंग बॉलिंग और कम स्कोरिंग के कारण यह टूर्नामेंट युवा उमंग और अनुभवी खिलाड़ियों दोनों के लिए परीक्षण का मैदान बन गया। कई भारतीय दिग्गज—जैसे सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर—अपनी अंतरराष्ट्रीय करियर के बीच‑बीच में इस लीग में भाग ले चुके हैं, जिससे यह स्थानीय क्रिकेट की आत्मा बन गया।

सरफ़राज़ खान की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में 27‑वर्षीय सरफ़राज़ खान को बीसीसीआई के चयनकर्ताओं ने इंग्लैंड के खिलाफ पाँच‑मैच टेस्‍ट सीरीज़ (2025) में जगह नहीं दी। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी वह बेंच पर रह गए। इस निराशा का मुकाबला करने के लिए उन्होंने अपना फिटनेस रूटीन बदलते हुए कई किलोग्राम वजन कम किया, जैसा कि इंग्लैंड टेस्‍ट सीरीज़ के दौरान वायरल तस्वीरों में स्पष्ट दिखता है।

काँगा लीग में उनके वापसी का कारण सिर्फ़ फ़ॉर्म नहीं, बल्कि खेल के प्रति उनका जोश भी था। उन्होंने पार्कोफोन क्रिकटर्स की ओर से इस्लाम जिमखाना के खिलाफ 42 गेंदों पर 61 रन बनाए। इस दौरान उन्हें हेलमेट पर लटके एक तेज़ गेंद से चोट भी लगी, पर वह धूप‑से‑बारिश वाले आउटफ़ील्ड में कठिन सीमा रेखा को पार करने में सफल रहे।

गावस्कर‑तेंदुलकर के साथ तुलना

सरफ़राज़ ने बताया कि बचपन में उनके पिता, कोच नवशाद खान, ने कई कहानियां सुनाई थीं। एक कहानी में बताया गया कि कैसे सुनील गावस्कर ने इंग्लैंड से उसी सुबह लौटते‑ही कांगा लीग का मैच खेला था। “कुछ खिलाड़ी सोचते हैं कि अगर यहाँ फेल हो गए तो भविष्य बिगड़ जाएगा,” उन्होंने आगे कहा, “अगर गावस्कर‑तेंदुलकर भी ऐसी सोचते, तो शायद वे आज के लेजेंड नहीं होते।”

वास्तव में, दोनों दिग्गजों ने 1970‑और‑80 के दशक में लगातार कांगा लीग में भाग लेकर अपनी तकनीक और मानसिकता को निखारा। यह बात सरफ़राज़ के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई, क्योंकि वह भी इंग्लैंड टेस्‍ट सीरीज़ में बाहर रहकर अपने खेल को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

BCCI चयन प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया

बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के चयनकों को सरफ़राज़ ने “आगे की पीढ़ी को यह संदेश देने के लिए ही काँगा लीग में लौटे हैं कि राष्ट्रीय टीम से बाहर भी क्रिकेट जारी रखा जा सकता है” कहा। उन्होंने कहा कि “सिर्फ़ टेस्ट में जगह नहीं मिलने से हमारी मेहनत या प्रतिभा का आकलन नहीं होता।”

विशेषज्ञों का मानना है कि काँगा लीग के प्रदर्शन को अभी भी राष्ट्रीय टीम के चयन में आधिकारिक मानदंड नहीं माना जाता, परन्तु यह खिलाड़ियों को फॉर्म और आत्मविश्वास बनाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

भविष्य की संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं

सरफ़राज़ ने अगले महीने होने वाले वर्ल्ड कप क्वालीफायर में अपनी जगह बनाने के लिए “हर मौके का फायदा उठाऊँगा” कहा। साथ ही, उन्होंने अपने छोटे भाई मुशीर खान के साथ लगातार काँगा लीग में खेलने का इरादा दोहराया।

परिणामस्वरूप, बीसीसीआई के चुनिंदा विशेषज्ञों ने तेज़ी से आंतरिक परीक्षण योजना बनायी है, जिससे ऐसे खिलाड़ियों को फिर से राष्ट्रीय स्तर पर लाने की संभावना बढ़ेगी।

मुख्य तथ्य

  • सरफ़राज़ खान ने काँगा लीग में 61 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई।
  • वह पिछले तीन वर्षों में इस लीग से बाहर थे, लेकिन अब फिर से लौटे हैं।
  • उनका पिता, नवशाद खान, उनके कोच और मार्गदर्शक हैं।
  • बीसीसीआई ने उन्हें इंग्लैंड टेस्‍ट सीरीज़ में शामिल नहीं किया।
  • गावस्कर और तेंदुलकर ने भी अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान काँगा लीग खेली।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सरफ़राज़ खान के इस बयान का भारतीय क्रिकेट पर क्या असर पड़ेगा?

बयान ने राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया में स्थानीय टूर्नामेंट की भूमिका को उजागर किया। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बीसीसीआई को अंदरूनी लीग प्रदर्शन को अधिक ध्यान देने की प्रेरणा मिल सकती है, जिससे उभरते खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अवसर प्राप्त हो सकता है।

काँगा लीग का इतिहास क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

काँगा लीग 1940 के दशक से मुंबई के मॉनसून में आयोजित होती आ रही है, जहाँ बारिश‑से‑गिलहरी पिच पर बॉलिंग और बैटिंग दोनों की अलग‑अलग तकनीकें विकसित हुईं। कई दिग्गज खिलाड़ी—जैसे गावस्कर और तेंदुलकर—ने अपने खेल को निखारने के लिए इस लीग को एक महत्वपूर्ण प्लेटफ़ॉर्म माना है।

सरफ़राज़ खान ने अपनी फिटनेस कैसे बदल ली?

इंग्लैंड टेस्‍ट सीरीज़ के दौरान वायरल तस्वीरों में दिखने वाले बदलाव से पता चलता है कि उन्होंने कई किलोग्राम वजन कम किया। उनके कोच, नवशाद खान, ने बताया कि उन्होंने कठोर डाइट और हाई‑इंटेंसिटी ट्रेनिंग को अपनाया, जिससे उनका स्ट्राइक‑रेट और फील्डिंग दोनों सुधरा।

क्या बीसीसीआई भविष्य में काँगा लीग प्रदर्शन को चयन में शामिल करेगा?

फ़िलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं है, परन्तु कई क्रिकेट विश्लेषकों ने सुझाव दिया है कि निरंतर प्रदर्शन और फिटनेस को देखते हुए चयनकर्ता स्थानीय टूर्नामेंट के आँकड़ों को अब अधिक महत्व दे सकते हैं। यह बदलाव भविष्य की पीढ़ी के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

सरफ़राज़ खान के छोटे भाई मुशीर का कब तक साथ रहेगा?

मुशीर खान ने कहा कि वे दोनों की लक्ष्य यही है कि वे अगले साल तक दो साल लगातार काँगा लीग में खेलेँ और अपना नाम राष्ट्रीय स्तर पर बनवाएँ। उनका मानना है कि भाई‑बहन का सामंजस्य मैदान में करियर को और मजबूत बना सकता है।