UP के 2.15 करोड़ किसानों को 21वीं किसान निधि किस्त, ₹4,314 करोड़ का ट्रांसफर

नवंबर 19, 2025 को लगभग दोपहर 1:45 बजे (UTC), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के कोयंबटूर से 21वीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) किस्त का शुभारंभ किया। इसके तहत उत्तर प्रदेश के 2,15,71,323 किसानों के बैंक खातों में ₹4,314.26 करोड़ सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिए जमा किए गए। यह किस्त केवल उत्तर प्रदेश के लिए नहीं, बल्कि देशभर के 9 करोड़ से अधिक किसानों के लिए ₹18,000 करोड़ के कुल राशि का हिस्सा है। यह ट्रांसफर खरीफ फसल की बुआई के दौर में आया है — जब किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीदने के लिए तत्काल धन की आवश्यकता होती है।

उत्तर प्रदेश: किसान सहायता का शीर्ष राज्य

उत्तर प्रदेश अब तक के सभी 20 पिछले भुगतानों के बाद प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सबसे अधिक लाभार्थी वाला राज्य बन गया है। इस 21वीं किस्त के साथ, राज्य के किसानों को कुल मिलाकर ₹90,354.32 करोड़ की राशि पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा किसी भी राज्य के लिए अभूतपूर्व है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा, "योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के तहत, यह योजना राज्य में 100% लागू हो रही है — स्वतंत्रता के बाद इतने बड़े पैमाने पर किसानों को किसी भी योजना के तहत सीधी सहायता मिलना पहली बार है।""

इसके साथ ही, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा, "उत्तर प्रदेश के 2.15 करोड़ से अधिक किसानों को इस किस्त का सीधा लाभ मिला है, जिससे राज्य के कृषि विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिली है।"

प्रशासनिक सुधार: लैंड रिकॉर्ड और ई-केवाईसी का जाल

इस बड़े पैमाने के लाभ पहुंचाने के पीछे राज्य सरकार के गुप्त सुधार हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले छह महीनों में सभी 75 जिलों में विशेष अभियान चलाए — जिनमें भूमि रिकॉर्ड सुधार, आधार सीडिंग और ई-केवाईसी प्रक्रियाएं तेज की गईं। इन कदमों के बाद जिन किसानों को पहले योजना से बाहर रखा जा रहा था, वे अब सीधे लाभ पा रहे हैं। राज्य के आयोग ने एक विशेष टीम बनाई है जो हर जिले में तकनीकी समस्याओं का समाधान करती है।

यह सुधार निश्चित रूप से प्रभाव दे रहा है। योजना के शुरुआती चरण में उत्तर प्रदेश में लगभग 1.8 करोड़ किसान शामिल थे। अब यह संख्या 2.15 करोड़ तक पहुंच गई है — एक लगभग 20% की वृद्धि।

किसानों के लिए दोहरा बूस्ट: खरीफ और चावल की खरीद

इस किस्त के साथ ही उत्तर प्रदेश में चावल की खरीद का रिकॉर्ड बन रहा है। 19 नवंबर तक, 70,000 से अधिक किसानों ने 4.12 लाख टन चावल बेचा है, जिसके लिए ₹852.24 करोड़ की राशि सीधे उनके खातों में जमा की गई। यह पिछले वर्ष के इसी अवधि से अधिक है। यह दोहरा लाभ — एक ओर PM-KISAN की किस्त, दूसरी ओर अधिकारियों की ओर से त्वरित खरीद — किसानों के लिए एक अनूठा आर्थिक तूफान ला रहा है।

केंद्र और राज्य का साझा जिम्मेदारी

केंद्रीय सरकार ने इस वित्तीय वर्ष (2025-26) के लिए PM-KISAN के लिए ₹68,000 करोड़ की राशि आवंटित की है, जो केंद्रीय बजट का लगभग 1.67% है। यह राशि निश्चित रूप से राज्यों के लिए एक बड़ा संकेत है। लेकिन उत्तर प्रदेश ने इसे बस प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं रखा। इसे अपनी प्रशासनिक शक्ति से बढ़ाया।

दूसरी ओर, राजस्थान जैसे राज्यों ने अपने राज्य स्तरीय योजनाएं जोड़ दी हैं। राजस्थान में "मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि" के तहत किसानों को अतिरिक्त ₹3,000 सालाना मिलते हैं — जिससे उनकी कुल वार्षिक सहायता ₹9,000 हो जाती है। यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे राज्य केंद्रीय योजनाओं को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ा सकते हैं।

क्या यह योजना किसे लाभान्वित करती है?

क्या यह योजना किसे लाभान्वित करती है?

PM-KISAN के लिए योग्यता के नियम स्पष्ट हैं। भूमि स्वामित्व वाले संस्थागत प्रतिनिधि, वर्ग ए के पूर्व अधिकारी, और निर्धारित आय सीमा से ऊपर के व्यक्ति इस योजना से बाहर हैं। योजना का मुख्य लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों को सहायता पहुंचाना है — जो अक्सर बैंकिंग और ब्याज के दबाव में रहते हैं।

अगला कदम: क्या आगे कुछ बड़ा होगा?

अगली किस्त जनवरी 2026 में आने की उम्मीद है। अगर राज्य सरकार अपने वर्तमान प्रशासनिक दृष्टिकोण को बरकरार रखती है, तो अगली किस्त में लाभार्थियों की संख्या फिर से बढ़ सकती है। इसके अलावा, केंद्र सरकार अपने डीबीटी प्लेटफॉर्म को अधिक ट्रांसपेरेंट बनाने के लिए एक नया ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिससे किसान अपनी भुगतान की स्थिति को अपने फोन से ट्रैक कर सकेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

PM-KISAN की यह 21वीं किस्त उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए क्यों खास है?

इस किस्त के साथ उत्तर प्रदेश के किसानों को कुल ₹90,354.32 करोड़ की राशि पहुंच चुकी है — जो किसी भी राज्य के लिए अभूतपूर्व है। यहां के 2.15 करोड़ किसान अब योजना के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। यह न केवल धन का प्रवाह है, बल्कि राज्य के प्रशासन द्वारा भूमि रिकॉर्ड और आधार सीडिंग में किए गए सुधारों का परिणाम है, जिससे पहले बाहर रहे किसान भी लाभ पा रहे हैं।

क्या यह धन किसानों के लिए वास्तविक बदलाव ला सकता है?

हां। यह ₹2,000 की किस्त खरीफ बुआई के दौर में आई है, जब किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीदने की जरूरत होती है। अधिकांश किसान अब ऋण लेने के बजाय इस राशि से अपनी फसल की लागत को ढक पा रहे हैं। इसके अलावा, चावल की खरीद में रिकॉर्ड वृद्धि से उनकी आय और बाजार विश्वास दोनों बढ़ रहे हैं।

क्या राजस्थान जैसे राज्यों के किसान अधिक लाभ पा रहे हैं?

हां, राजस्थान में राज्य सरकार ने PM-KISAN के साथ अतिरिक्त ₹3,000 सालाना जोड़ दिए हैं, जिससे किसानों को कुल ₹9,000 सालाना मिलता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों की संख्या अधिक है — यहां 2.15 करोड़ किसान लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि राजस्थान में लगभग 40 लाख। तो व्यक्तिगत लाभ कम है, लेकिन जनसंख्या का दायरा बहुत बड़ा है।

क्या कोई किसान इस योजना से बाहर है?

हां। भूमि के संस्थागत स्वामी, वर्ग ए के पूर्व अधिकारी, और निर्धारित आय सीमा से ऊपर के व्यक्ति योग्य नहीं हैं। इसके अलावा, अगर भूमि रिकॉर्ड गलत हैं या आधार सीडिंग नहीं हुई है, तो भी किसान लाभ नहीं पा सकते। इसलिए राज्य के अभियानों ने इन बाधाओं को हटाने पर ध्यान दिया है।

अगली किस्त कब आएगी और क्या नया आएगा?

अगली किस्त जनवरी 2026 में आने की उम्मीद है। केंद्र सरकार एक नया ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिससे किसान अपने खाते में धन के आने की स्थिति को अपने मोबाइल से ट्रैक कर सकेंगे। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश ने अगले वित्तीय वर्ष में और अधिक किसानों को शामिल करने के लिए एक नए डेटा अपडेट अभियान की घोषणा की है।

इस योजना का राज्य की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है?

इस योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जीवंत कर दिया है। अब किसान अपने पैसे को स्थानीय बाजारों में खर्च कर रहे हैं — बीज, उर्वरक, ट्रैक्टर के पुर्जे और बच्चों की शिक्षा के लिए। इससे ग्रामीण व्यापार और छोटे उद्यमों को भी फायदा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण बाजारों में पिछले छह महीनों में 18% की वृद्धि दर्ज की गई है।